प्रकाश कुंज । मुंबई, महाराष्ट्र के सुनीत प्रकाश और उनकी गुजराती पत्नी ललिता कासंजी (दोनों न्यूजीलैंड-ऑस्ट्रेलिया के दोहरे नागरिक) को सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग और वहां के भारतीय प्रवासियों के लिए सेवा करने को लेकर ‘न्यूजीलैंड ऑर्डर ऑफ मेरिट के सदस्य’ सम्मान के लिए चुना गया है। गौरतलब है कि न्यूजीलैंड का यह पुरस्कार भारत के
प्रकाश कुंज । मुंबई, महाराष्ट्र के सुनीत प्रकाश और उनकी गुजराती पत्नी ललिता कासंजी (दोनों न्यूजीलैंड-ऑस्ट्रेलिया के दोहरे नागरिक) को सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग और वहां के भारतीय प्रवासियों के लिए सेवा करने को लेकर ‘न्यूजीलैंड ऑर्डर ऑफ मेरिट के सदस्य’ सम्मान के लिए चुना गया है।
गौरतलब है कि न्यूजीलैंड का यह पुरस्कार भारत के शीर्ष पद्म राष्ट्रीय पुरस्कारों के समान है। भारतीय मूल के इन दोनों सदस्यों को न्यूजीलैंड की गवर्नर-जनरल डेम सिंडी कीरो द्वारा जल्द ही सम्मानित किया जाएगा। सुश्री कीरो यूनाइटेड किंगडम के राजा चार्ल्स तृतीय के प्रतिनिधि हैं। न्यूजीलैंड ब्रिटिश सम्राट को अपने राष्ट्राध्यक्ष के रूप में मान्यता देता है।
न्यूजीलैंड ऑर्डर ऑफ मेरिट नामक पुरस्कारों के व्यापक समूह की स्थापना 30 मई, 1996 को तत्कालीन ब्रिटिश सम्राट महारानी एलिजाबेथ द्वितीय द्वारा जारी एक रॉयल वारंट द्वारा की गई थी। न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री और कैबिनेट विभाग के अनुसार, ऑर्डर के प्राप्तकर्ता वे हैं, जिन्होंने किसी भी क्षेत्र में, क्राउन और राष्ट्र के लिए सराहनीय सेवा प्रदान की है या जो अपनी प्रतिष्ठा, प्रतिभा, योगदान या अन्य योग्यताओं के कारण प्रतिष्ठित हुए हैं। न्यूजीलैंड ऑर्डर ऑफ मेरिट के सदस्य प्रतिष्ठित पुरस्कारों के स्तरों में से एक है। वर्ष 1996 से न्यूजीलैंड ने केवल 15 आईटी जादूगरों को ऐसा सम्मान दिया है, लेकिन यह पहली बार है जब यह भारतीय समुदाय के सदस्यों को दिया गया है।
श्री प्रकाश (63) ने ‘यूनीवार्ता’ से टेलीफोन पर बातचीत में कहा,“हम इस सम्मान के मिलने से खुश हैं।”
गौरतलब है कि प्रकाश-कासांजी दंपति 2023 में उस समय सुर्खियों में आए थे, जब उन्होंने भारत के साथ न्यूजीलैंड सेंटर फॉर डिजिटल कनेक्शन की सह-स्थापना की, ताकि दो दूर देशों के बीच डिजिटल और तकनीकी सहयोग को गति दी जा सके। वैश्विक, तकनीकी और जातीय-समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण के संयोजन के साथ उनके ट्रेंडसेटर शोध से पता चला कि भारतीय आईटी पेशेवरों ने न्यूजीलैंड की अर्थव्यवस्था में सालाना 3500 लाख अमेरिकी डॉलर का योगदान दिया। साथ ही, दृश्यता और प्रगति के लिए उत्प्रेरक कार्यक्रम बनाकर सफलता के लिए पूर्वानुमान की पहचान की। श्री प्रकाश ने कहा,“हमने अपने जीवन के अनुभवों से सीखा और पाया कि न्यूजीलैंड के भारतीय आईटी पेशेवरों के समुदाय में अपार ज्ञान, अंतर्दृष्टि, कौशल और क्रॉस-मार्केट विशेषज्ञता है। लेकिन उनके आंतरिक मूल्य को पर्याप्त रूप से मान्यता नहीं दी गई। इसलिए दृश्यता पैदा करना और अवसर पैदा करना हमारा मिशन बन गया।” इसने उनके प्रस्तुतिकरण की नींव रखी जिसमें सिफारिश की गई थी कि न्यूजीलैंड को दोनों देशों के बीच व्यापार संबंधों और नवाचारों को बढ़ावा देने के लिए एक डिजिटल और आईटी व्यापार प्रतिनिधिमंडल भारत ले जाना चाहिए।
उन्होंने कहा,“सूर्य का प्रकाश एक शक्तिशाली कीटाणुनाशक है और हम एक आवर्धक कांच ला रहे हैं।”
उल्लेखनीय है कि प्ररकाश की सास रुक्समनी कासांजी को भारतीयों के लिए उनके योगदान के लिए न्यूजीलैंड ऑर्डर ऑफ मेरिट (2019) के सदस्य के रूप में सम्मानित किया गया था। श्री रुक्समी 1948 में शादी के बाद न्यूजीलैंड आयीं थी और यहीं पर बस गयीं।
प्रकाश-ललिता के 28 वर्षीय पुत्र अर्जुन अमेरिका में एआई में डॉक्टरेट की पढ़ाई कर रहे हैं। श्रीमती कासंजी ने कहा,“जब तक सुनीत और मैं मिले नहीं थे, तब तक डिजिटल इंडिया और नए भारतीय इस देश के लिए अदृश्य थे, लेकिन प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन की हाल की भारत यात्रा के बाद यह धारणा काफी हद तक बदल गई।”
उन्होंने कहा कि वह एक समाजशास्त्री हैं, जिन्होंने वेलिंगटन के विक्टोरिया विश्वविद्यालय से गुजराती प्रवासियों के न्यूजीलैंड प्रवास पर ध्यान केंद्रित करते हुए अपनी मास्टर डिग्री पूरी की है। नयी दिल्ली में जन्मे सुनीत प्रकाश मुंबई में रहते थे और उन्होंने विले पार्ले में शीर्ष जमनाबाई नरसी स्कूल, मीठीबाई कॉलेज और नरसी मोनजी इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज से शिक्षा प्राप्त की। वह हिंदी और मराठी में अच्छी तरह से बातचीत कर सकते हैं।
इस दंपति को यह सम्मान ऐसे समय में मिला है, जब लगभग 51 लाख की आबादी वाला न्यूजीलैंड भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर सक्रिय रूप से काम कर रहा है।