प्रकाश कुंज । जयपुर प्रतापनगर सेक्टर आठ स्थित श्री शांतिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर, सेक्टर-8 की पुण्यधरा पर एक ऐतिहासिक क्षण बना, जब तीन दिगम्बर जैन संघों के सात संतों का भव्य वात्सल्य मिलन हुआ। इस अद्भुत अवसर पर श्रद्धालुओं ने जयकारों के साथ संतों का स्वागत कर धर्मलाभ लिया। सुबह श्री शांतिनाथ मंदिर में दो
प्रकाश कुंज । जयपुर प्रतापनगर सेक्टर आठ स्थित श्री शांतिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर, सेक्टर-8 की पुण्यधरा पर एक ऐतिहासिक क्षण बना, जब तीन दिगम्बर जैन संघों के सात संतों का भव्य वात्सल्य मिलन हुआ। इस अद्भुत अवसर पर श्रद्धालुओं ने जयकारों के साथ संतों का स्वागत कर धर्मलाभ लिया।
सुबह श्री शांतिनाथ मंदिर में दो संघों के छह संतों का मंगल प्रवेश हुआ। इसी दौरान श्रुत संवेगी मुनि आदित्य सागर महाराज ससंघ का भी मंदिर परिसर में आगमन हुआ, जिसके साथ ही तीन संघों के सात संतों का दुर्लभ महामिलन संभव हुआ।
इस मौके पर आचार्य शशांक सागर महाराज, उपाध्याय ऊर्जयन्त सागर मुनिराज, मुनि आदित्य सागर महाराज सहित सात संतों की दिव्य उपस्थिति में धर्मसभा आयोजित हुई।
मुनि आदित्य सागर महाराज ने कहा कि अभ्यास, एकाग्रता और निरन्तरता ही जीवन की सच्ची सफलता के सूत्र हैं। उपाध्याय ऊर्जयन्त सागर ने कि गुरु की कृपा मोक्ष से कम नहीं होती। सफलता की निरंतरता ही सबसे बड़ा धर्म है। आचार्य शशांक सागर महाराज ने कहा कि सुख साधनों में नहीं, बल्कि साधना में है। संत का पंथ नहीं, पथ होता है।
धर्मसभा के बाद महाआरती, आहारचर्या, सामायिक, शास्त्र चर्चा और संध्या कालीन आनंद यात्रा के आयोजन भी संपन्न हुए। समाज के विभिन्न गणमान्यजनों और पदाधिकारियों ने सक्रिय भूमिका निभाई।