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ई‑वेस्ट से बनी योगमुद्राओं की कलाकृतियाँ

ई‑वेस्ट से बनी योगमुद्राओं की कलाकृतियाँ

— अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर पर्यावरण, स्वास्थ्य और कला का संयोजन प्रकाश कुंज । जयपुर :   अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर जयपुर के कलाकार मुकेश ज्वाला द्वारा ई-वेस्ट (पुराने कंप्यूटरों, मदरबोर्ड्स, तारों व अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों) से निर्मित अनेक योग-कलाकृतियाँ प्रदेश व राष्ट्र में सराहनीय चर्चा का विषय बनी हुई हैं। ये कलाकृतियाँ न

— अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर पर्यावरण, स्वास्थ्य और कला का संयोजन

प्रकाश कुंज । जयपुर :   अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर जयपुर के कलाकार मुकेश ज्वाला द्वारा ई-वेस्ट (पुराने कंप्यूटरों, मदरबोर्ड्स, तारों व अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों) से निर्मित अनेक योग-कलाकृतियाँ प्रदेश व राष्ट्र में सराहनीय चर्चा का विषय बनी हुई हैं। ये कलाकृतियाँ न केवल उच्च कलात्मकता दर्शाती हैं, बल्कि सूक्ष्म संदेशन  योग, पुनर्चक्रण और स्वास्थ्य  को भी जन-जन तक पहुंचाती हैं।

कलाकृतियों का परिचय और सामाजिक संदेश

ई‑वेस्ट की रचनात्मक पुनर्योजना: मुकेश ज्वाला ने पुराने सीपीयू बॉडी, मदरबोर्ड्स, स्मृति चिप्स और कंप्यूटर के आंतरिक हिस्सों को योग मुद्रा, ध्यान मुद्रा और मानव ऊर्जा चक्रों की आकृति प्रदान करते हुए कला के माध्यम से पर्यावरण जागरूकता पैदा की है।

विशाल और सार्वजनिक प्रदर्शन: इनमें 10‑15 फीट ऊँची स्थलों पर स्थापित प्रतिमाएँ शामिल हैं। “मनस्वी ” और “तपस्वी ” (12.5‑फीट), एसबीआई के दिल्ली मुख्यालय पर प्रदर्शित हैं, जिन्हें 400 कंप्यूटरों और 2,000 मदरबोर्ड्स का पुन: उपयोग कर बनाया गया है।

कोरोना के बाद योग का महत्व: महामारी के समय में योग की लोकप्रियता बढ़ी और इसी प्रेरणा से ज्वाला ने अपनी कला को पर्यावरण संरक्षण के साथ जोड़ते हुए ई-वेस्ट स्कल्पचर्स का निर्माण आरंभ किया।

कॉर्पोरेट और सार्वजनिक प्रतिष्ठानों में योगदान
हाल ही में उन्होंने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, रायपुर मुख्यालय, तथा कानपुर की एसबीआई शाखा में मानव-आकृति वाली विशाल ई ‑वेस्ट मूर्तियाँ स्थापित कीं। उदाहरणत: “मातृका ” नामक मूर्ति में 250 डेस्कटॉप्स, 200 मदरबोर्ड्स, 15,000 रिवेट्स और 9,000 स्क्रूज़ का प्रयोग हुआ, जिसे मात्र एक महीने में साकार किया गया।

एसबीआई के सहयोग से ई‑वेस्ट स्कल्पचर स्थापित करने की पहल को बैंक की ओर से भी सराहा गया ,जिसमें यह माना गया कि यह कला “बैंक के पर्यावरणीय प्रतिबद्धता और महिला सशक्तिकरण” का प्रतीक बनती है|कलाकार का उद्देश्य कला के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन करना है ।

“योग केवल अभ्यास नहीं, बल्कि जीवन की दिशा है। साथ ही ई‑वेस्ट हमारी जिम्मेदारी है। मैंने इन दोनों को जोड़कर यह कला बनाई है ताकि हम आंतरिक संतुलन के साथ-साथ बाहरी संतुलन भी पा सकें।” — मुकेश ज्वाला

उन्होंने यह भी कहा कि उनकी प्रबल मान्यता है कि कला को केवल दीवार पर प्रदर्शित नहीं होना चाहिए, बल्कि यह सार्वजनिक संवादों, सरकारी-गैर‑सरकारी योजनाओं और मानव स्वास्थ्य पर जागरूकता लाने का एक माध्यम बन सकती है।

समय-संवेदनशीलता और वर्तमान समाज में प्रासंगिकता 

देश में बढ़ रहे ई ‑वेस्ट (लगभग 3 मिलियन टन/वर्ष) और पर्यावरणीय जटिलताओं को ध्यान में रखते हुए दिल्ली सरकार ने हाल ही में एक बहुस्तरीय… ई ‑वेस्ट जागरूकता अभियान शुरू किया है, जो “सॉलीड वेस्ट मैनेजमेंट नियम 2016” के अनुरूप है। अन्य शहरों में भी ई ‑वेस्ट कलेक्शन और अपसायक्लिंग ड्राइव चल रही हैं — जैसे मदुरै (यी मदुरै ) में पूरे माह के अभियान से लेकर वाराणसी में काशी क्रॉसिंग्स पर स्क्रैप आर्ट की स्थापना जो यह स्पष्ट संकेत है कि देश सामाजिक एवं पर्यावरणीय सतर्कता की तरफ अग्रसर है। इस पृष्ठभूमि में मुकेश ज्वाला के काम का महत्व और बढ़ जाता है , क्योंकि ये केवल आर्ट इंस्टॉलेशन नहीं, बल्कि जागरूकता के ‘टूल’ बनकर उभरते हैं।

आगे की योजनाएँ और सरकारी भूमिका

मुकेश ज्वाला वर्तमान में ई‑वेस्ट म्यूरल्स पर नए प्रयोग कर रहे हैं, जो ऊर्जा चक्रों और मानव शरीर की अंदरूनी संरचना को कंप्यूटर तारों और पुर्जों से दर्शाते हैं।अगले कदम में सरकार, शैक्षणिक संस्थान, कॉर्पोरेट और स्थानीय प्रशासन के साथ सहयोग से सार्वजनिक प्रदर्शनी, कार्यशाला और स्कूल-कॉलेज में ई‑वेस्ट शिक्षा कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बना रहे हैं।

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