-संगीत आश्रम संस्थान के तीन दिवसीय शास्त्रीय संगीत समारोह का हुआ आगाज प्रकाश कुंज । जयपुर : फनकार मुजतबा हसन निसार ने अपने कमाले फन से सितार साज पर सुरों की बौछार कर मौजूद दानिशमंद श्रोताओं को जमकर भिगोया। मौका था संगीत आश्रम संस्थान के शनिवार को तीन दिवसीय शास्त्रीय संगीत समारोह के आगाज का।
-संगीत आश्रम संस्थान के तीन दिवसीय शास्त्रीय संगीत समारोह का हुआ आगाज
प्रकाश कुंज । जयपुर : फनकार मुजतबा हसन निसार ने अपने कमाले फन से सितार साज पर सुरों की बौछार कर मौजूद दानिशमंद श्रोताओं को जमकर भिगोया। मौका था संगीत आश्रम संस्थान के शनिवार को तीन दिवसीय शास्त्रीय संगीत समारोह के आगाज का। समारोह के पहले दिन शास्त्रीनगर स्थित संस्थान परिसर में संजोए क्लासिकल म्यूजिक कॉन्सर्ट में इंटरनेशनल परफॉर्मर उत्तरप्रदेश के मुजतबा हसन निसार ने विभिन्न राग-रागनियों की बंदिशों की दिलकश प्रस्तुतियों में सुर,लय और ताल का तिलिस्म बिखेरा।
रामपुर सहसवान ग्वालियर घराने के इस आला फनकार ने अपने कार्यक्रम की शुरुआत राग यमन से की। उन्होंने सुरों के खूबसूरत लगाव, ठहराव से राग यमन का शृंगार किया। सुर बहार के निष्णात कलाकार इस कलाकार ने सितार पर सुरों की खूबसूरत आईनबंदी कर एक ताल में निबद्ध विलंबित गत, एक ताल में तराना और फिर तीन ताल में निबद्ध बंदिश ऐरी आली पिया बिन सखी… की सुरीली प्रस्तुति में गायकी अंग का बेहतरीन नजारा पेशकर माहौल में शास्त्रीय संगीत की मिठास घोल दी।
इसके बाद इस कलाकार ने तीन ताल में निबद्ध राग चारुकेशी की बंदिश पलकन लागे मोरी गुइयां… की कर्णप्रिय प्रस्तुति के बाद राग मिश्र खमाज में दादरा में मोरे जियरा पे कर गयो वार…की बंदिश की सुरीली धुन पेश मौजूद श्रोताओं को अपना मुरीद बना लिया।
इनके साथ तबले पर फारुख हुसैन ने दमदार संगत की। गौरतलब है कि उस्ताद इफ्तिकार हुसैन खान के बेटे फनकार मुजतबा हसन निसार ने कैएरो, इजिप्ट, चाइना, दोहा, कतर, ईरान और नेपाल के प्रतिष्ठित संगीत समारोह में अपनी शानदार प्रस्तुतियों से संगीत के दीवानों के दिलों को छूआ है। इस कलाकार के दादा मरहूम निसार हुसैन खान पद्मभूषण से सम्मानिक कलाकार थे।
आज होगा क्लासिकल म्यूजिक कॉन्सर्ट
संगीत आश्रम संस्थान सचिव अमित अनुपम ने बताया कि समारोह के समारोह के दूसरे दिन 29 जून, रविवार शाम 4.30 बजे क्लासिकल म्यूजिक कॉन्सर्ट होगा। इसमें अनेक कलाकार विभिन्न राग-रागनियों के सुरीले सुरों की माला पिरोएंगे। समारोह के आखिरी दिन सोमवार, 30 जून को शाम 5.30 बजे कथक नृत्य संध्या संजोई जाएगी। इसमें कई बाल व युवा कलाकार जयपुर घराने के शुद्ध पारंपरिक कथक की प्रस्तुति देंगे।