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केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने देश की पहली राजकीय कन्या सैनिक विद्यालय का किया लोकार्पण, पूज्या रामीदेवी रामनारायण राठी बालिका सैनिक विद्यालय के लिए भामाशाह पूनमचंद राठी ने दान किए 108 करोड़, नदी के पानी की तरह मीठा होता है दानदाताओं का दान— मेघवाल

केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने देश की पहली राजकीय कन्या सैनिक विद्यालय का किया लोकार्पण, पूज्या रामीदेवी रामनारायण राठी बालिका सैनिक विद्यालय के लिए भामाशाह पूनमचंद राठी ने दान किए 108 करोड़, नदी के पानी की तरह मीठा होता है दानदाताओं का दान— मेघवाल

जयपुर । केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल तथा शिक्षा मंत्री  मदन दिलावर ने शुक्रवार को बीकानेर जिले के जयमलसर में देश के पहले राजकीय बालिका सैनिक कन्या विद्यालय, पूज्या रामीदेवी रामनारायण राठी बालिका सैनिक विद्यालय का लोकार्पण किया। इसके लिए भामाशाह  पूनमचंद राठी द्वारा 108 करोड़ रुपए राशि की भूमि और भवन

जयपुर । केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल तथा शिक्षा मंत्री  मदन दिलावर ने शुक्रवार को बीकानेर जिले के जयमलसर में देश के पहले राजकीय बालिका सैनिक कन्या विद्यालय, पूज्या रामीदेवी रामनारायण राठी बालिका सैनिक विद्यालय का लोकार्पण किया। इसके लिए भामाशाह  पूनमचंद राठी द्वारा 108 करोड़ रुपए राशि की भूमि और भवन शिक्षा विभाग को समर्पित की गई है।
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री  मेघवाल ने कहा कि देश का पहला राजकीय बालिका सैनिक विद्यालय, जयमलसर में खुला है। यह हम सभी के लिए गर्व का विषय है। उन्होंने इसके लिए भामाशाह परिवार का आभार जताया और कहा कि दानवीर लोगों का धन चलता रहता है, जो नदी के पानी की तरह मीठा होता है। तिजोरी में जमा धन, समाज के किसी काम नहीं आता।
इस दौरान केंद्रीय मंत्री ने विभिन्न लोक गीतों और कहावतों के माध्यम से दान-पुण्य और परोपकार के महत्व को समझाया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री  भजन लाल शर्मा द्वारा संभाग स्तर पर सैनिक विद्यालय प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया है, यह सराहनीय है। इससे बालिकाओं में राष्ट्रभक्ति और राष्ट्र के प्रति प्रेम की भावना जागृत होगी।
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि देश के पहले राजकीय सैनिक विद्यालय से हमारी बेटियां सैनिक शिक्षा प्राप्त करेंगी तथा सोफिया कुरैशी और व्योमिका सिंह की भांति देश की सेवा करते हुए राजस्थान और बीकानेर का नाम रोशन करेंगी।  उन्होंने कहा कि राठी परिवार द्वारा अपनी मेहनत से कमाया हुआ पैसा, इतने बड़े काम के लिए समर्पित किया है। इसे आने वाले समय में याद रखा जाएगा।
दिलावर ने कहा कि राजस्थान वीरों, तपस्वियों, त्यागी और दानवीरों की धरती है। राठी परिवार ने दानवीर भामाशाह की परम्परा को आगे बढ़ाते हुए इतना बड़ा काम किया है। दिलावर ने कहा कि राज्य सरकार शिक्षा के प्रति कृतसंकल्प है। इस दिशा में ऐतिहासिक काम हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा में संस्कारों का समावेश होना जरूरी है। ऐसा होने पर नागरिकों में राष्ट्र के प्रति निष्ठा के भाव जागृत होते हैं।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि गत डेढ़ वर्ष में प्रदेश के परीक्षा परिणाम में सकारात्मक परिवर्तन हुआ है। प्रदेश के सरकारी विद्यालयों ने निजी विद्यालयों की तुलना में बेहतर परिणाम दिए हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश के दृष्टि बाधित, मूकबधिर और शत प्रतिशत दिव्यांग शिक्षकों को उनके इच्छित स्थान पर पदस्थापन दिया जा रहा है। राजस्थान में पढ़ने वाले सभी बच्चों के स्वास्थ्य का परीक्षण पहली बार करवाया गया है। लगभग 70 लाख बच्चों को आवश्यक दवाइयां और ऑपरेशन सहित समस्त चिकित्सा सुविधा राज्य सरकार द्वारा निःशुल्क उपलब्ध करवाई जा रही हैं।
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की पहल पर शिक्षा विभाग के 35 हजार कार्मिकों को पदोन्नत किया गया है। 21 हजार पदोन्नतियां प्रगतिरत हैं। राज्य सरकार द्वारा आरटीई के तहत 2 हजार करोड़ रुपए का भुगतान निजी विद्यालयों को किया गया है। साढ़े 10 लाख बालिकाओं को साइकिलें, 88 हजार बच्चों को लैपटॉप दिए हैं। विभाग द्वारा गत वर्ष 7 करोड़ 22 लाख पौधे लगाए गए। इस वर्ष 10 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। इसे ध्यान रखते हुए क्रियान्वयन किया जा रहा है।
खाजूवाला विधायक डॉ. विश्वनाथ मेघवाल ने कहा कि बेटियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी के स्वप्न को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा साकार कर रहे हैं।
माध्यमिक शिक्षा निदेशक सीताराम जाट ने बताया कि राज्य के वर्ष 2024-25 के परिवर्तित बजट में प्रदेश के सभी संभाग मुख्यालय पर सैनिक विद्यालय स्थापित करने की घोषणा की। जिसकी सर्वप्रथम क्रियान्विति बीकानेर से हुई है। उन्होंने बताया कि इसका उद्देश्य बालिकाओं के आत्म सम्मान में वृद्धि,आत्मरक्षा के लिए तैयार करने के साथ, देश के प्रति सम्मान और सेवा का जज्बा पैदा करना है। उन्होंने बताया कि यह विद्यालय पूर्णतया आवासीय होंगे और इनमें कक्षा छह से बारहवीं तक की बालिकाओं को प्रवेश दिया जाएगा। प्रथम चरण में छह से आठवीं तक की बालिकाओं का प्रवेश होगा।

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