प्रकाश कुंज । शिमला हिमाचल प्रदेश के कई इलाके मानसून के विनाशकारी प्रभाव से जूझ रहे हैं, जिसमें सेराज, सैंज और चंबा के कुछ हिस्से शामिल हैं। चंबा जिले के सुदूर ग्राउंडा पंचायत के ग्रामीणों को रस्सियों की मदद से लगभग खड़ी ढलान पर चढ़ने या उतरने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है ।
प्रकाश कुंज । शिमला हिमाचल प्रदेश के कई इलाके मानसून के विनाशकारी प्रभाव से जूझ रहे हैं, जिसमें सेराज, सैंज और चंबा के कुछ हिस्से शामिल हैं। चंबा जिले के सुदूर ग्राउंडा पंचायत के ग्रामीणों को रस्सियों की मदद से लगभग खड़ी ढलान पर चढ़ने या उतरने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है । इस पंचायत में लगभग 500 लोग रहते हैं ।
जिस मार्ग पर वे कभी निर्भर थे वह मूसलाधार बारिश और सड़क निर्माण के कारण बह गया, जिससे छह किलोमीटर दूर होली शहर से उनका एकमात्र संपर्क टूट गया । छोटे बच्चों और बुजुर्गों को भी इन रस्सियों से खींचा जा रहा है जबकि कई घरों में राशन पहले ही खत्म हो चुका है ।
सड़क निर्माण कार्य के दौरान खंभे उखड़ने के बाद से चार महीने से बिजली गायब है। मोबाइल फ़ोन डिस्चार्ज पड़े हैं, रेडियो बंद हैं और टीवी स्क्रीन खाली हैं ।
सरकारी और निजी निर्माण परियोजनाएं रुकी हुई हैं क्योंकि सीमेंट, लोहा और रेत का परिवहन अभी संभव नहीं है ।
जल आपूर्ति योजनाएं भी प्रभावित हुई हैं और सात अगस्त तक राज्य भर में 244 योजनाएं और 452 सड़कें बाधित थीं जबकि बिजली कटौती के कारण 861 ट्रांसफार्मर ठप पड़े हुए हैं ।
यह स्थानीय संकट मानसून के व्यापक प्रभाव की पृष्ठभूमि में सामने आया है । 20 जून से सात अगस्त के बीच, हिमाचल प्रदेश में बादल फटने, अचानक बाढ़ एवं भूस्खलन आने से 202 लोगों की मौत हुई है, 808 घर, 37 दुकानें, 589 गौशालाएं क्षतिग्रस्त हुई हैं और 1,95,000 लाख रूयपे से अधिक की सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान हुआ है ।
केवल चंबा में भूस्खलन एवं बादल फटने से पुल बह गए, सड़कें अवरुद्ध हो गईं, पशुधन मारे गए और घर असुरक्षित हो गए ।
फिलहाल ग्राउंडा के लोगों के लिए ज़िंदा रहने का मतलब है खच्चरों पर सामान ढोना, भोजन की कमी से जुझना और बाहरी दुनिया से जुड़ने के लिए एक रस्सी पर भरोसा करना । वहां के लोगों के लिए यह युद्ध से भी ज़्यादा कठोर वास्तविकता बनी हुई है और सहनशीलता उनका एक दैनिक कार्य बना हुआ है ।