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चेन्निथला ने पीएम-कुसुम सौर पंप योजना में 240 करोड़ रुपये के घोटाले का लगाया आरोप

चेन्निथला ने पीएम-कुसुम सौर पंप योजना में 240 करोड़ रुपये के घोटाले का लगाया आरोप

प्रकाश कुंज । तिरुवनंतपुरम  कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य रमेश चेन्निथला ने केरल में गैर-परंपरागत ऊर्जा एवं ग्रामीण प्रौद्योगिकी एजेंसी (एएनईआरटी) के माध्यम से कार्यान्वित पीएम-कुसुम योजना के अंतर्गत सौर ऊर्जा संचालित पंपों की स्थापना के लिए जारी 240 करोड़ रुपये के निविदा में कथित अनियमितताओं की गहन जांच की मांग की है। चेन्निथला ने इसे

प्रकाश कुंज । तिरुवनंतपुरम  कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य रमेश चेन्निथला ने केरल में गैर-परंपरागत ऊर्जा एवं ग्रामीण प्रौद्योगिकी एजेंसी (एएनईआरटी) के माध्यम से कार्यान्वित पीएम-कुसुम योजना के अंतर्गत सौर ऊर्जा संचालित पंपों की स्थापना के लिए जारी 240 करोड़ रुपये के निविदा में कथित अनियमितताओं की गहन जांच की मांग की है।

चेन्निथला ने इसे एक बड़ा घोटाला करार देते हुए इसके व्यापक जांच और एएनईआरटी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) को तत्काल हटाने की मांग की है।
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि ये अनियमितताएं तब शुरू हुईं जब एएनईआरटी के सीईओने 240 करोड़ रुपये की निविदा जारी की। जबकि उन्हें केवल पांच करोड़ रुपये तक की निविदाएं जारी करने का अधिकार है।

उन्होंने कहा कि केवल इस विसंगति के कारण परियोजना की लागत में लगभग 100 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट होना चाहिए कि सरकार से किसी औपचारिक अनुमोदन के बिना इतनी ज्यादा कीमत की निविदा कैसे जारी की गई।

निविदा प्रक्रिया के दौरान नियमों के उल्लंघनों को उजागर करते हुए श्री चेन्निथला ने एएनईआरटी के सीईओ को तत्काल हटाने की मांग की तथा अनियमितताओं की व्यापक जांच की मांग की।

चेन्निथला ने कहा कि निविदा जमा होने के बाद कोंडास ऑटोमेशन कंपनी को सुधार करने की अनुमति दी गई और बाद में उसे कार्य करने का आदेश दिया गया। उन्होंने सवाल उठाया कि निविदा की बोली के बाद इस तरह के संशोधनों की अनुमति कैसे दी गई।

कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि पंप स्थापित करने के लिए अधिकांश अनुबंध केंद्र सरकार की मानक लागत से दोगुने से अधिक दरों पर जारी किए गए। दो किलोवाट से 10 किलोवाट क्षमता वाले सौर पंप परियोजनाओं के लिए कीमत में भिन्नता एक-तीन लाख रुपये के बीच है जिसने कुल परियोजना लागत बहुत बढ़ गई। उन्होंने बढ़ी हुई कीमतों के अनुमोदन के स्रोत और इसमें शामिल कथित भ्रष्टाचार की गहन जांच की मांग की तथा कहा कि नाबार्ड से लिए गए 175 करोड़ रुपये के ऋण का उपयोग कथित तौर पर इन अनियमितताओं को करने के लिए किया गया।

उन्होंने यह भी दावा किया कि इनमें से कुछ अयोग्य कंपनियों को टाटा सोलर द्वारा उद्धृत दर पर ही ठेके दिए गए जबकि उन्होंने शुरू में कम राशि थी।

चेन्निथला ने कहा, “इससे साफ़ ज़ाहिर होता है कि गुणवत्ता का पालन सुनिश्चित किए बिना, ठेके मनमाने एवं गैरकानूनी तरीके से दिए गए। ऐसा लगता है कि योग्यता या पात्रता की परवाह किए बिना, कोई भी सौर ऊर्जा इकाइयां स्थापित कर सकता है।’’

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