एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन आॅफ सिविल राइट्स ने बिजयनगर की घटना को लेकर जारी की रिपोर्ट जयपुर : पिछले कुछ वर्षों में पूरे देश में सुनियोजित रूप से नफरत की राजनीति और साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है। सरकारें और सत्ता से जुड़ी शक्तियां इस एजेंडे के तहत कुछ समुदायों को निशाना बनाकर उन्हें
एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन आॅफ सिविल राइट्स ने बिजयनगर की घटना को लेकर जारी की रिपोर्ट
जयपुर : पिछले कुछ वर्षों में पूरे देश में सुनियोजित रूप से नफरत की राजनीति और साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है। सरकारें और सत्ता से जुड़ी शक्तियां इस एजेंडे के तहत कुछ समुदायों को निशाना बनाकर उन्हें दबाने, डराने और उनके धार्मिक, सामाजिक व संवैधानिक अधिकारों को कुचलने का प्रयास कर रही हैं। चाहे वह मॉब लिंचिंग हो, बुलडोजर राजनीति हो या धार्मिक स्थलों को अवैध घोषित करने की साजिश सब एक ही श्रृंखला के हिस्से हैं।
यह बात मंगलवार को यहां एपीसीआर राजस्थान चैप्टर के अध्यक्ष एडवोकेट सय्यद सआदत अली ने संवाददाता सम्मेलन में कही। उन्होंने पत्रकारों से मुखातिब होते हुए कहा कि हम किसी भी कीमत पर सांप्रदायिक राजनीति और नफरत को स्वीकार नहीं करेंगे और सदैव मुखरता के साथ इसके विरोधी रहेंगे। इसी क्रम में वे बोले-राजस्थान के ब्यावर शहर के बिजयनगर में गत 20 फरवरी को घटित घटनाएं भी उसी नफरती एजेंडे का विस्तार प्रतीत होती हैं। तथ्यों की जांच और हालत का जायज लेने के लिए फरवरी में ही एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन आॅफ सिविल राइट्स (एपीसीआर) राजस्थान चैप्टर के प्रतिनिधिमंडल ने बिजयनगर का दौरा किया। वहां के हालात जाने, पीड़ितों की सुध लेकर वास्तविक स्थिति से रूबरू हुए। सय्यद सआदत अली ने बताया कि इस संदर्भ में तथ्यों पर आधारित एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की गई। जिसका आज यहां विमोचन हुआ। यह रिपोर्ट बिजयनगर की घटनाओं, प्रशासनिक कार्रवाई और स्थानीय नागरिकों से प्राप्त जानकारी पर आधारित है।
दोष साबित हुए बिना आशियाने तोड़ना असंवैधानिक : मुज्जमिल
एपीसीआर के प्रदेश महासचिव एडवोकेट मुजम्मिल रिजवी ने रिपोर्ट की मुख्य बातों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि धर्म विशेष के लोगों को टारगेट कर प्रशासन ने निशाना बनाया। वे बोले-दोष साबित हुए बिना ही उनके आशियाने तोड़ दिए गए। पांच मस्जिदों और एक कब्रिस्तान को अवैध निर्माण बताकर नोटिस जारी करना, पूरे समुदाय को सामूहिक रूप से दंडित करने जैसा है। यह स्पष्ट रूप सेसांप्रदायिक भेदभाव और प्रशासनिक पक्षपात का उदाहरण है। इस दौरान पूर्व न्यायायिक अधिकारी टीसी राहुल, वरिष्ठ समाजसेवी बसंत हरियाणा आदि ने भी लोगों के घर तोड़े जाने को असंवैधानिक एवं भेदभावपूर्ण नीति बताया।
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