मंडी: देश के प्रमुख इंजीनियरिंग संस्थानों में प्रशासनिक व्यवस्था को सुदृढ़ और आधुनिक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, आईआईटी मंडी में तीन दिवसीय वार्षिक रजिस्ट्रार्स कॉन्क्लेव की शुरुआत हुई। इस आयोजन में देशभर के 18 आईआईटी के रजिस्ट्रार्स और 3 निदेशक शामिल हुए, जो हाल के वर्षों में आईआईटी प्रणाली के
मंडी: देश के प्रमुख इंजीनियरिंग संस्थानों में प्रशासनिक व्यवस्था को सुदृढ़ और आधुनिक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, आईआईटी मंडी में तीन दिवसीय वार्षिक रजिस्ट्रार्स कॉन्क्लेव की शुरुआत हुई। इस आयोजन में देशभर के 18 आईआईटी के रजिस्ट्रार्स और 3 निदेशक शामिल हुए, जो हाल के वर्षों में आईआईटी प्रणाली के वरिष्ठ प्रशासकों का सबसे बड़ा कॉन्क्लेव माना जा रहा है। इस कार्यक्रम का उद्घाटन आईआईटी मंडी के निदेशक प्रो. लक्ष्मिधर बेहरा और आईआईटी रोपड़ के निदेशक प्रो. राजीव आहूजा की उपस्थिति में हुआ, जबकि आईआईटी जम्मू के निदेशक प्रो. मनोज सिंह गौर ने वर्चुअल रूप से कार्यक्रम को संबोधित किया।
प्रो. लक्ष्मिधर बेहरा ने मूल्य-आधारित नेतृत्व की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि संस्थानों को श्रीमद् भगवद गीता की शिक्षाओं पर आधारित नेतृत्व सिद्धांतों को अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा, “जीवन या शासन में कोई भी समस्या ऐसी नहीं है जिसका समाधान गीता में न हो।” उन्होंने रजिस्ट्रार्स से पारदर्शी, प्रभावी और छात्र-केंद्रित प्रणाली विकसित करने का आग्रह किया।
भारत को ज्ञान आधारित वैश्विक अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में अग्रसर करने के लिए, इस प्रकार के आयोजन उच्च शिक्षा प्रणाली को भविष्य के लिए तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस कॉन्क्लेव की चर्चाएं और निर्णय निस्संदेह आईआईटी जैसे राष्ट्रीय महत्त्व के संस्थानों के प्रशासनिक एजेंडे को आगामी वर्षों के लिए दिशा प्रदान करेंगे।
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