728 x 90

बेटियों में अब भावनात्मक सशक्तीकरण की जरूरत : बाहेती

बेटियों में अब भावनात्मक सशक्तीकरण की जरूरत : बाहेती

– माहेश्वरी समाज का सामाजिक सरोकारों को समर्पित ‘मंथन’ का प्रथम सोपान सम्पन्न प्रकाश कुंज । उदयपुर  समाज की बदलती संरचना और सामाजिक चुनौतियों के परिप्रेक्ष्य में माहेश्वरी समाज ने एक सशक्त पहल करते हुए सामाजिक चेतना को जागृत करने की दिशा में ‘मंथन – समस्या से समाधान तक’ शृंखला का आरम्भ किया। उदयपुर नगर

– माहेश्वरी समाज का सामाजिक सरोकारों को समर्पित ‘मंथन’ का प्रथम सोपान सम्पन्न
प्रकाश कुंज । उदयपुर  समाज की बदलती संरचना और सामाजिक चुनौतियों के परिप्रेक्ष्य में माहेश्वरी समाज ने एक सशक्त पहल करते हुए सामाजिक चेतना को जागृत करने की दिशा में ‘मंथन – समस्या से समाधान तक’ शृंखला का आरम्भ किया। उदयपुर नगर माहेश्वरी युवा संगठन एवं माहेश्वरी फ्रेंड्स समिति, उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को देवाली फतेहपुरा स्थित विद्या भवन ऑडिटोरियम में इस विचारगोष्ठी का प्रथम सोपान सम्पन्न हुआ।
संगठन अध्यक्ष मयंक मूंदड़ा ने बताया कि यह शृंखला समाज में व्याप्त ज्वलंत समस्याओं पर खुली चर्चा कर समाधान की दिशा में सामूहिक चिंतन का आरंभ है। कोषाध्यक्ष सुदर्शन लड्ढा ने बताया कि संवाद सत्र में सोशल मीडिया के दुष्प्रभाव, संबंधों में गिरती संवेदनशीलता, युवाओं की मनःस्थिति, धर्मांतरण जैसे गूढ़ व जटिल विषयों पर विशेषज्ञ वक्ताओं द्वारा तथ्यपरक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया गया।
फ्रेंड्स समिति के तरुण असावा ने बताया कि सेमिनार में भीलवाड़ा से आए समाजसेवी सुभाष बाहेती और यशोदा मंडोवरा ने प्रमुख उद्बोधन दिया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दक्षिणी राजस्थान प्रादेशिक माहेश्वरी युवा संगठन के प्रदेश अध्यक्ष राघव कोठारी रहे, जबकि अध्यक्षता सीए आशीष कोठारी ने की। समिति के भरत बाहेती ने बताया कि संवाद में विभिन्न आयुवर्ग के समाजबंधुओं की उत्साहपूर्ण भागीदारी रही। कार्यक्रम के दौरान महिला समाजसेवी पूनम भदादा व समाजसेवी श्रीरत्न मोहता का सम्मान भी किया गया।
प्रदेश अध्यक्ष राघव कोठारी ने दिए युवाओं को सशक्त समाज निर्माण के सूत्र
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और दक्षिणी राजस्थान प्रादेशिक माहेश्वरी युवा संगठन के प्रदेश अध्यक्ष राघव कोठारी ने कहा कि आज समाज जिस संक्रमण काल से गुजर रहा है, उसमें युवाओं को केवल रोजगार या तकनीकी दक्षता नहीं, बल्कि संस्कार, विचार और समाजबोध की शिक्षा देना अधिक आवश्यक हो गया है।
उन्होंने कहा कि ‘‘मंथन’’ केवल संवाद नहीं, बल्कि समाज के जागरण का एक संगठित प्रयास है, जिससे हमें समाधान की दिशा में ठोस पहल करनी है। कोठारी ने बेटियों की सुरक्षा, आत्मबल और संस्कार आधारित शिक्षा को संगठन की प्राथमिकता बताया। उन्होंने यह भी घोषणा की कि आने वाले समय में दक्षिणी राजस्थान के प्रत्येक जिले में मंथन जैसी गोष्ठियों का आयोजन कर संगठन विचार-क्रांति लाने हेतु प्रतिबद्ध है।
बाहेती ने कहा – केवल आर्थिक नहीं, बेटियों को चाहिए भावनात्मक सशक्तीकरण
मुख्य वक्ता सुभाष बाहेती ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज माहेश्वरी समाज की जनसंख्या लगभग 15-20 लाख से घटकर 9 लाख तक सीमित हो गई है। उन्होंने चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि हमारे समाज में विवाह में विलम्ब, संतानोत्पत्ति में देर, दिखावटी जीवनशैली, पारिवारिक संवाद की कमी और आधुनिकता की अंधी दौड़ ने सामाजिक सरोकारों को नुकसान पहुंचाया है।
बाहेती ने कहा कि माता-पिता के पास बच्चों के लिए समय न होने से भावनात्मक रिक्तता पनप रही है, जिससे किशोरवय बेटियां प्रेम की आड़ में छल का शिकार हो रही हैं। “हमें बेटियों को भावनात्मक रूप से सशक्त बनाना होगा, उन्हें धर्म और संस्कृति के प्रति सजग करना होगा।”
उन्होंने विवाह को समय पर करने, दिखावटीपन से दूर रहने, दो से अधिक संतान जन्म देने में हिचक नहीं रखने, छुआछूत मिटाने और सामाजिक एकजुटता बढ़ाने जैसे सुझाव रखे। उन्होंने कहा कि “हम सभी के पालनहार भगवान महेश हैं, पर समाज का दायित्व हमें खुद निभाना होगा।”
धार्मिक चेतना और सजगता की आवश्यकता : मंडोवरा
सहवक्ता यशोदा मंडोवरा ने विषय को विस्तार देते हुए कहा कि आज समाज ‘लव जिहाद’, ‘लैंड जिहाद’ और ‘व्यापारिक जिहाद’ जैसी सुनियोजित साजिशों का शिकार हो रहा है। उन्होंने कहा कि छद्म पहचान देते हुए प्रेम की आड़ में बेटियों को फंसाकर उनका धर्मांतरण कर उन्हें असहाय बना देना, एक राष्ट्रीय षड्यंत्र की ओर संकेत करता है, जिससे हमें सजग रहना होगा।
उन्होंने कहा कि स्कूल, कॉलेज, जिम, डांस क्लास, मंदिर परिसर, रेस्टोरेंट – यह सब षड्यंत्रकारियों की पहुंच में हैं। खासतौर से डिजीटल माध्यमों पर फंसाने का खेल ज्यादा चल रहा है और माता-पिता अपने बच्चों पर नजर नहीं रख रहे हैं कि बच्चे डिजीटल माध्यमों पर कर क्या रहे हैं।
मंडोवरा ने कहा कि समाज की प्रत्येक बेटी को आत्मरक्षा के लिए जूड़ो-कराटे, तलवारबाज़ी, आत्मबल और विचारबल से सुसज्जित किया जाए। उन्होंने दुर्गा वाहिनी जैसी संगठनों से जुड़ने और धार्मिक-सांस्कृतिक गतिविधियों में बच्चों को भागीदार बनाने की बात कही। उन्होंने जोर देकर कहा कि “देश को बचाने के लिए बेटियों को पहले बचाना होगा। उन्हें धर्म, गौरव और अस्तित्व के प्रति जागरूक करना आवश्यक है।”

Posts Carousel

Latest Posts

Top Authors

Most Commented

Featured Videos

Categories