728 x 90

दिया कुमारी ने रंगरीत कला महोत्सव में देखा पारम्परिक चित्रकला का लालित्य

दिया कुमारी ने रंगरीत कला महोत्सव में देखा पारम्परिक चित्रकला का लालित्य

जयपुर । राजस्थान की उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी ने रविवार को यहां रंगरीत कला महोत्सव में पारम्परिक चित्रकला का लालित्य को देखा और पेंटिंग्स के रूप में प्राकृतिक रंगों से साकार हुई कृतियों को सराहा और कलाकारों की हौसला अफजाई की। राजधानी जयपुर में जवाहर कला केंद्र की ओर से रंगरीत संस्थान के सहयोग से गत

जयपुर । राजस्थान की उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी ने रविवार को यहां रंगरीत कला महोत्सव में पारम्परिक चित्रकला का लालित्य को देखा और पेंटिंग्स के रूप में प्राकृतिक रंगों से साकार हुई कृतियों को सराहा और कलाकारों की हौसला अफजाई की।
राजधानी जयपुर में जवाहर कला केंद्र की ओर से रंगरीत संस्थान के सहयोग से गत दो मई से आयोजित रंगरीत कला महोत्सव का रविवार को समापन हुआ और इसके आखिरी दिन सुश्री दिया कुमारी प्रदर्शनी में शरीक होकर वैदिक चित्रकार रामू रामदेव के संयोजन में हुए महोत्सव में पारम्परिक चित्रकला का लालित्य को देखा और कलाकारों की हौसला अफजाई की। इस दौरान केंद्र की अतिरिक्त महानिदेशक अलका मीणा, वरिष्ठ लेखाधिकारी बिंदु भोभरिया एवं अन्य प्रशासनिक अधिकारी तथा बड़ी संख्या में कलाकार एवं कला प्रेमी मौजूद थे।

अलंकार दीर्घा में प्रवेश करते ही उपमुख्यमंत्री ने माँ सरस्वती के चरणों में नमन कर दीप प्रज्ज्वलित किया। उन्होंने रंगों से कैनवास पर चित्र भी बनाया। उन्होंने चित्रकार समदर सिंह खंगारोत, गोविन्द रामदेव,रामू रामदेव, बीकानेर के महावीर स्वामी, जयपुर के सुधीर वर्मा, उदयपुर के शैल चोयल, अजमेर के राम जायसवाल, दिल्ली की सुमित्रा अहलावत, उदयपुर के मनदीप शर्मा तथा जयपुर के विक्रम सिंह राठौड़ एवं अन्य कलाकारों की पेंटिंग्स का अवलोकन किया और प्राकृतिक रंगों की भी जानकारी ली।

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि जवाहर कला केंद्र के प्रयास से रंगरीत महोत्सव का सफल आयोजन हुआ। इसके लिए जवाहर कला केंद्र, रंगरीत संस्थान और संयोजक रामू रामदेव धन्यवाद के पात्र है। महोत्सव में युवाओं ने कला गुरुओं से पारम्परिक कलाओं के गुर सीखे। राजस्थान में जेकेके जैसा केंद्र बहुत जरूरी है जहां कलाकारों को मंच मिल सके। इस तरह के आयोजन भविष्य में भी किये जाएंगे जिससे हमारी पारम्परिक कलाओं को संरक्षण मिल सके और नयी पीढ़ी तक ये कलाएं पहुंच सके। उन्होंने यह भी कहा कि जेकेके को ऐसे केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा जहां क्षेत्रीय कलाकारों के साथ-साथ देशभर के कलाकार, दस्तकार अपनी पारम्परिक कलाओं को सीख सके और उनका प्रदर्शन यहां कर सके।

Posts Carousel

Latest Posts

Top Authors

Most Commented

Featured Videos

Categories