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वित्त वर्ष 2024-25 में भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश रिकॉर्ड 81.04 अरब अमेरिकी डॉलर रहा

वित्त वर्ष 2024-25 में भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश रिकॉर्ड 81.04 अरब अमेरिकी डॉलर रहा

प्रकाश कुंज । नयी दिल्ली  देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) वर्ष 2024-25 में 14% की बढ़ोतरी के साथ रिकॉर्ड 81.04 अरब अमेरिकी डॉलर रहा। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा मंगलवार को जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार, वित्तीय वर्ष के दौरान सेवा क्षेत्र एफडीआई प्राप्त करने में सबसे आगे रहा और एफडीआई में इस क्षेत्र

प्रकाश कुंज । नयी दिल्ली  देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) वर्ष 2024-25 में 14% की बढ़ोतरी के साथ रिकॉर्ड 81.04 अरब अमेरिकी डॉलर रहा।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा मंगलवार को जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार, वित्तीय वर्ष के दौरान सेवा क्षेत्र एफडीआई प्राप्त करने में सबसे आगे रहा और एफडीआई में इस क्षेत्र की हिस्सेदारी 19 प्रतिशत रही।

विज्ञप्ति में कहा गया कि सरकार ने निवेशकों के अनुकूल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की नीति लागू की है, जिसके अंतर्गत अधिकांश क्षेत्र स्वचालित तरीके से 100 प्रतिशत एफडीआई के लिए खुले हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि भारत एक आकर्षक और प्रतिस्पर्धी निवेश गंतव्य बना रहे, इस नीति की निरंतर समीक्षा की जा रही है। इसके कारण, एफडीआई प्रवाह में लगातार बढ़ोतरी देखी गई है, जो कि वित्त वर्ष 2013-14 में 36.05 अरब डॉलर की तुलना में वित्त वर्ष 2024-25 में 81.04 अरब डॉलर (प्रारंभिक अनुमान) तक पहुंच चुका है। यह आंकड़ा वित्त वर्ष 2023-24 में 71.28 अरब डॉलर के एफडीआई की तुलना में 14 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्शाता है।

वित्त वर्ष 2024-25 में सेवा क्षेत्र एफडीआई का सबसे बड़ा हिस्सेदार बनकर उभरा, जिसने कुल एफडीआई का 19 प्रतिशत प्राप्त किया, इसके बाद कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर (16 प्रतिशत ) और ट्रेडिंग (आठ प्रतिशत) का स्थान रहा। सर्विसेज सेक्टर में एफडीआई बीते वर्ष के 6.64 अरब डॉलर से 40.77 प्रतिशत बढ़कर 9.35 अरब डॉलर हो गया।

भारत विनिर्माण क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का केंद्र भी बनकर उभर रहा है, यह वित्त वर्ष 2024-25 में 18 प्रतिशत बढ़कर 19.04 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जबकि वित्त वर्ष 2023-24 में यह 16.12 अरब डॉलर था।

वित्त वर्ष 2024-25 में कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में महाराष्ट्र का हिस्सा सबसे अधिक (39 प्रतिशत) रहा, उसके बाद कर्नाटक (13 प्रतिशत) और दिल्ली (12 प्रतिशत) का स्थान रहा। स्रोत देशों में सिंगापुर 30 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ सबसे आगे रहा, उसके बाद मॉरीशस (17 प्रतिशत) और अमेरिका (11 प्रतिशत) का स्थान रहा।

बीते 11 वित्त वर्षों (2014-25) में, भारत ने 748.78 अरब डॉलर का एफडीआई आकर्षित किया, जो बीते 11 वर्षों (2003-14) की तुलना में 143 प्रतिशत बढ़ोतरी को दर्शाता है, जिसमें 308.38 अरब डॉलर का निवेश हुआ था। यह बीते 25 वर्षों में प्राप्त कुल 1,072.36 अरब डॉलर के एफडीआई का लगभग 70 प्रतिशत है।

इसके अतिरिक्त, एफडीआई के लिए स्रोत देशों की संख्या वित्त वर्ष 2013-14 में 89 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में 112 प्रतिशत हो गई, जो एक निवेश गंतव्य के रूप में भारत की बढ़ती वैश्विक क्षमता को दर्शाती है।

सरकार ने एफडीआई मानदंडों को उदार बनाने के लिए कई क्षेत्रों में परिवर्तनकारी सुधार किए हैं। 2014 और 2019 के बीच, महत्वपूर्ण सुधारों में रक्षा, बीमा और पेंशन क्षेत्रों में एफडीआई सीमा में बढ़ोतरी और निर्माण, नागरिक उड्डयन और एकल ब्रांड खुदरा व्यापार के लिए उदार नीतियां शामिल हैं।

2019 से 2024 तक, उल्लेखनीय उपायों में कोयला खनन, अनुबंध निर्माण और बीमा मध्यस्थों में स्वचालित मार्ग के तहत 100% एफडीआई की अनुमति देना शामिल है। 2025 के केंद्रीय बजट ने भारत में अपना पूरा प्रीमियम निवेश करने वाली कंपनियों के लिए एफडीआई सीमा को 74% से बढ़ाकर 100% करने का प्रस्ताव रखा।
ये रुझान एक पसंदीदा वैश्विक निवेश केंद्र के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत करते हैं, जो एक सक्रिय नीतिगत संरचना, एक विकसित व्यापार पारिस्थितिकी तंत्र और भारत के आर्थिक लचीलेपन में बढ़ते अंतर्राष्ट्रीय विश्वास को दर्शाते हैं।

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