728 x 90

राजस्व धोखाधड़ी मामले में चार गिरफ्तार, तहसीलदार समेत तीन फरार

राजस्व धोखाधड़ी मामले में चार गिरफ्तार, तहसीलदार समेत तीन फरार

प्रकाश कुंज । श्रीनगर  जम्मू कश्मीर की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी और राजस्व अभिलेखों से छेड़छाड़ से संबंधित कुछ दिन पहले दर्ज हुई प्राथमिकी के सिलसिले में सोमवार को सात आरोपियों में से चार को गिरफ्तार कर लिया । जबकि तहसीलदार समेत तीन आरोपी फरार हो गये हैं । ईओडब्ल्यू प्रवक्ता ने

प्रकाश कुंज । श्रीनगर  जम्मू कश्मीर की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी और राजस्व अभिलेखों से छेड़छाड़ से संबंधित कुछ दिन पहले दर्ज हुई प्राथमिकी के सिलसिले में सोमवार को सात आरोपियों में से चार को गिरफ्तार कर लिया । जबकि तहसीलदार समेत तीन आरोपी फरार हो गये हैं ।

ईओडब्ल्यू प्रवक्ता ने यह जानकारी देते हुए बताया कि फरार चल रहे तीन आरोपियों में एक तहसीलदार नुसरत अज़ीज़ भी शामिल है । नुसरत ने इससे पहले श्रीनगर की भ्रष्टाचार निरोधक अदालत जमानत के लिए आवेदन किया था, लेकिन यह याचिका खारिज हो गयी थी ।

प्रवक्ता ने कहा, “यह मामला संगठित धोखाधड़ी गतिविधियों का है । इसमें झूठे दाखिल-खारिज और राजस्व अभिलेखों में गलत प्रविष्टियाँ का काम किया गया, जिससे श्रीनगर और बडगाम जिलों के लोगों को भारी वित्तीय नुकसान और परेशानी हुई है ।”
गिरफ्तार चार लोगों में श्रीनगर के नौगाम निवासी रियाज़ अहमद भट, पीरबाग निवासी मोहम्मद शफी लोन उर्फ शफी चीनी, पादशाही बाग निवासी शाहनवाज़ अहमद राथर और लासजान निवासी शब्बीर अहमद वानी शामिल हैं। नुसरत के अलावा दो अन्य आरोपी बलहामा के पटवारी आशिक अली और रावलपोरा निवासी शमीमा अख्तर फरार चल रहे हैं । उन्हें पकड़ने के प्रयास जारी हैं ।

इस मामले में गत सात जुलाई को दो राजस्व अधिकारियों सहित सात व्यक्तियों के खिलाफ आरपीसी की धारा 167, 420, 120-बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 2006 की धारा 5(2) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी ।  प्रवक्ता ने बताया कि नुसरत का नाम इस मामले के अलावा चार और अन्य प्राथमिकियों में भी शामिल है ।

इस मामले में एक महिला ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि उसने श्रीनगर के बलहामा में मोहम्मद शफी लोन उर्फ शफी चीनी से 17 लाख रुपये प्रति कनाल की दर से पांच कनाल और चार मरला ज़मीन खरीदी थी। इसके बदले में रावलपोरा के गौरीपोरा में दो कनाल ज़मीन के हस्तांतरण सहित कुल 88.4 लाख रुपये का भुगतान किया गया था ।
बिक्री के बाद, आरोपियों ने कथित तौर पर राजस्व रिकॉर्ड अपडेट करने के बहाने मूल बिक्री पत्र वापस ले लिए और उन्हें जाली खसरा नंबरों के साथ वापस कर दिया । इसके बाद, खरीदी गई ज़मीन के एक हिस्से पर एक व्यक्ति ने जबरन कब्ज़ा कर लिया । कब्जा करने वाले ने दावा किया कि उसने इसे रियाज़ अहमद भट से खरीदा है, जबकि ज़मीन कानूनन उसकी नहीं थी ।

ईओडब्ल्यू की प्रारंभिक जांच में राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से सर्वेक्षण संख्या में जानबूझकर हेराफेरी का खुलासा हुआ । तत्कालीन तहसीलदार नुसरत अजीज और तत्कालीन पटवारी आशिक अली ने कथित तौर पर रियाज अहमद भट को फायदा पहुंचाने के लिए झूठे दाखिल-खारिज किए गए, जिन्होंने बाद में विवादित ज़मीन को अवैध रूप से बेच दिया ।

Posts Carousel

Latest Posts

Top Authors

Most Commented

Featured Videos

Categories