-केंद्र बोला-वक्फ का इस्लाम में जिक्र, लेकिन इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं नई दिल्ली । वक्फ संशोधन कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को लगातार दूसरे दिन सुनवाई हुई। केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि सरकारी जमीन पर किसी का
-केंद्र बोला-वक्फ का इस्लाम में जिक्र, लेकिन इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं
नई दिल्ली । वक्फ संशोधन कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को लगातार दूसरे दिन सुनवाई हुई। केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि सरकारी जमीन पर किसी का कोई हक नहीं हो सकता, चाहे वो ‘वक्फ बाय यूजर’ के आधार पर ही क्यों न हो।
मेहता के मुताबिक अगर कोई जमीन सरकारी है तो सरकार को पूरा अधिकार है कि वह उसे वापस ले ले, भले ही उसे वक्फ घोषित कर दिया गया हो। किसी भी प्रभावित पक्ष ने अदालत का दरवाजा नहीं खटखटाया। किसी ने भी ये नहीं कहा कि संसद के पास इस कानून को पारित करने का अधिकार नहीं है। सॉलिसिटर जनरल ने तर्क दिया,वक्फ एक इस्लामी अवधारणा है, इस पर कोई विवाद नहीं है, लेकिन वक्फ इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। जब तक यह साबित न हो जाए, बाकी तर्क विफल हो जाते हैं।
सिर्फ 5 याचिकाओं पर हो रही सुनवाई
वक्फ कानून के खिलाफ लगी याचिकाओं पर सीजेआई बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच सुनवाई कर रही है। केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और याचिकाकर्ताओं की तरफ से कपिल सिब्बल पैरवी कर रहे हैं। मेहता ने कहा था, सुनवाई उन तीन मुद्दों पर हो, जिन पर जवाब दाखिल किए हैं। नए वक्फ कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट सिर्फ 5 मुख्य याचिकाओं पर ही सुनवाई कर रहा है। इसमें एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी की याचिका शामिल है।
हमने बिना सोचे-समझे बिल नहीं बनाया : एसजी
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि यह ऐसा मामला नहीं है, जहां मंत्रालय ने एक बिल बनाया और बिना सोच-विचार के वोटिंग कर दी गई हो। कुछ याचिकाकर्ता पूरे मुस्लिम समुदाय की ओर से नहीं बोल सकते। आपके पास जो याचिकाएं आई हैं, वे ऐसे लोगों ने दायर की हैं जो सीधे इस कानून से प्रभावित नहीं हैं। उन्होंने आगे कहा कि किसी ने यह नहीं कहा कि संसद को यह कानून बनाने का अधिकार नहीं था। संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की 96 बैठकें हुर्इं और हमें 97 लाख लोगों से सुझाव मिले, जिस पर बहुत सोच-समझकर काम किया गया।
बता दें कि कोर्ट ने मंगलवार को मुस्लिम पक्ष से कहा था कि राहत के लिए मजबूत दलीलें लाइए। बेंच ने कहा था कि मुस्लिम पक्ष को अंतरिम राहत पाने के लिए मामले को मजबूत और दलीलों को स्पष्ट करना चाहिए। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि कोई संपत्ति एएसआई (आर्कियोलॉजिकल सर्वे आॅफ इंडिया) के संरक्षण में है तो वह वक्फ संपत्ति नहीं हो सकती। सीजेआई ने मुस्लिम पक्ष को हिदायत दी थी-‘स्पष्ट मामला न हो तो कोर्ट हस्तक्षेप नहीं कर सकता। हर कानून के पक्ष में संवैधानिकता की धारणा होती है। हम अंतरिम राहत दे सकें, इसके लिए आपकी दलीलें बहुत मजबूत और स्पष्ट होनी चाहिए, वरना संवैधानिकता की धारणा बनी रहेगी।’