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हिमाचल उच्च न्यायालय ने चालक को ज़मानत दी, कहा कि यात्री के प्रतिबंधित सामान के लिए वह ज़िम्मेदार नहीं

हिमाचल उच्च न्यायालय ने चालक को ज़मानत दी, कहा कि यात्री के प्रतिबंधित सामान के लिए वह ज़िम्मेदार नहीं

प्रकाश कुंज । शिमला  हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने एक कैब चालक को ज़मानत दे दी है, जिसे पुलिस द्वारा उसके वाहन में एक यात्री के बैग से 1.511 किलोग्राम चरस बरामद करने के बाद स्वापक औषधि और मन प्रभावी (एनडीपीएस) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था । अदालत ने पाया कि चालक को

प्रकाश कुंज । शिमला  हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने एक कैब चालक को ज़मानत दे दी है, जिसे पुलिस द्वारा उसके वाहन में एक यात्री के बैग से 1.511 किलोग्राम चरस बरामद करने के बाद स्वापक औषधि और मन प्रभावी (एनडीपीएस) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था ।

अदालत ने पाया कि चालक को अपराध से जोड़ने के लिए प्रथम दृष्टया कोई सबूत नहीं है ।

इस मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति राकेश कैंथला की एकल पीठ ने फैसला सुनाया कि ज़ब्ती के समय याचिकाकर्ता द्वारा वाहन चलाना मात्र उसे दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त नहीं है ।
न्यायाधीश ने कहा कि पुलिस जाँच के दौरान चालक का आचरण किसी ऐसे व्यक्ति के आचरण के अनुरूप था जिसे किसी भी अवैध गतिविधि की जानकारी नहीं थी ।

अदालत ने कहा, “उसने निर्देशों का पालन किया, संकेत मिलने पर वाहन रोका और आवश्यक दस्तावेज़ प्रस्तुत किए, जैसा कि कोई भी चालक करता है ।” इसने यह भी कहा कि पुलिस स्थिति रिपोर्ट में ऐसी कोई सामग्री नहीं थी जिससे पता चले कि याचिकाकर्ता ने असामान्य व्यवहार किया था ।

नियमित नाकाबंदी के दौरान वाहन को रोका गया और चालक के बगल में बैठे एक यात्री ने एक बैग छिपाने की कोशिश की। बाद में बैग में चरस पाई गई, जिसके बाद चालक सहित तीनों यात्रियों को गिरफ्तार कर लिया गया ।

याचिकाकर्ता ने दलील दी कि उसे बैग में रखी सामग्री के बारे में कोई जानकारी नहीं थी और वह केवल अपने पेशेवर कर्तव्यों का पालन कर रहा था। उसने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि उसका कोई पूर्व आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है और न ही कोई सबूत – जैसे कॉल रिकॉर्ड या वित्तीय लेनदेन – उसे सह-अभियुक्तों से जोड़ता हो ।

शंकर डोंगरीसाहेब भोसले बनाम कर्नाटक राज्य (2017) में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का हवाला देते हुए, उच्च न्यायालय ने दोहराया कि जब प्रतिबंधित सामग्री छिपाई नहीं जाती है, बल्कि यात्री द्वारा स्पष्ट रूप से ले जाई जा रही होती है, तो यह नहीं माना जा सकता कि चालक को अपराध करने की जानकारी या इरादा था ।

न्यायालय ने गिरफ्तारी के आधार न बताए जाने के मुद्दे की भी जाँच की, लेकिन इस पर फैसला यह कहते हुए टाल दिया कि मामला सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है ।

ज़मानत कई शर्तों के अधीन दी गई, जिनमें यह भी शामिल है कि याचिकाकर्ता सबूतों से छेड़छाड़ नहीं करेगा, सभी सुनवाइयों में उपस्थित होगा, अपना पासपोर्ट (यदि कोई हो) जमा करेगा और पुलिस को अपने ठिकाने और संपर्क जानकारी से अवगत कराएगा ।

यह आदेश 16 जुलाई, 2025 को पारित किया गया और इसकी एक प्रति जेल अधीक्षक, जिला ओपन एयर जेल, बिलासपुर और संबंधित ट्रायल कोर्ट को तत्काल अनुपालन हेतु भेजने का निर्देश दिया गया ।

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