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देश में मादक पदार्थ व्यापार की राजधानी बनने की दिशा में अग्रसर है केरल

देश में मादक पदार्थ व्यापार की राजधानी बनने की दिशा में अग्रसर है केरल

प्रकाश कुंज । तिरुवनंतपुरम, 10 जुलाई (वार्ता) केरल में मादक पदार्थों की सेवन दर बहुत तेजी से बढ़ रही है और यह मादक पदार्थ व्यापार का प्रमुख केन्द्र बनने की दिशा में अग्रसर है। सूत्रों ने गुरुवार को सामाजिक न्याय विभाग की ताजा रिपोर्ट के हवाले से बताया कि यहां लगभग 7.5 लाख वयस्क और

प्रकाश कुंज । तिरुवनंतपुरम, 10 जुलाई (वार्ता) केरल में मादक पदार्थों की सेवन दर बहुत तेजी से बढ़ रही है और यह मादक पदार्थ व्यापार का प्रमुख केन्द्र बनने की दिशा में अग्रसर है।

सूत्रों ने गुरुवार को सामाजिक न्याय विभाग की ताजा रिपोर्ट के हवाले से बताया कि यहां लगभग 7.5 लाख वयस्क और 10 से 17 वर्ष की आयु के 75 हजार बच्चे मादक पदार्थों का सेवन करते हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि दक्षिण भारत के इस राज्य में मादक पदार्थाें का उपयोग आंकड़ा प्रति लाख जनसंख्या पर 78 हैं जबकि पंजाब में यह आंकड़ा 30 है।

“केरल मादक पदार्थों से संबंधित गंभीर महामारी का सामना कर रहा है। 2024 में एनडीपीएस के 27,700 से अधिक मामले सामने आए जो भारत में सबसे अधिक दर है। हत्याओं के अलावा, मादक पदार्थों से संबंधित हमले, पारिवारिक हिंसा और युवाओं में अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं।”

इस वर्ष की शुरुआत में, राज्य में हत्या के लगभग 50 प्रतिशत मामले मादक पदार्थों से जुड़े हुए थे जिनमें एमडीएमए जैसे सिंथेटिक पदार्थों का बढ़ता उपयोग, तटीय मार्गों एवं प्रमुख शहरों से आसान तस्करी और युवाओं में मादक पदार्थों का बढ़ता उपयोग शामिल है।

एमडीएमए, जिसे आमतौर पर “एक्स्टसी” या “मौली” के रूप में जाना जाता है, एक सिंथेटिक दवा है जो उत्तेजक और साइकेडेलिक (मूड बदलने वाली) दोनों तरह के प्रभाव पैदा करती है। यह एक मनोरंजक दवा है जो सामाजिक समारोहों, जैसे संगीत समारोहों और नृत्य कार्यक्रमों में लोकप्रिय है। लेकिन इसे चिकित्सा उद्देश्यों के लिए अनुमोदित नहीं किया गया है।

कांग्रेस और भाजपा जैसे विपक्षी दलों ने राज्य की भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) नीत एलडीएफ सरकार पर ड्रग माफियाओं के खिलाफ उपयुक्त कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया है । इन दलों ने कहा है कि राजनीतिक समर्थन के बिना मादक पदार्थाें की तस्करी संभव नहीं है और यह सब राजनीतिक संरक्षण में फल फूल रहा है।

उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार यहां अत्यधिक खतरनाक मादक पदार्थों की तस्करी को रोकने में विफल रही है और कथित रूप से माकपा कार्यालयों को मादक पदार्थों के व्यापार केंद्र के रूप में उपयोग किया जा रहा है।

केरल पुलिस ने ‘ऑपरेशन डी-हंट’ चलाकर हजारों लोगों को गिरफ्तार किया है और अनेक मामले दर्ज किए हैं लेकिन फिर भी सैकड़ों किलोग्राम गांजे के साथ-साथ कई किलोग्राम एमडीएमए, भांग, हेरोइन और अन्य मादक पदार्थों की तस्करी बेरोकटोक जारी है। इससे साबित होता है कि मादक पदार्थों की तस्करी का नेटवर्क अब भी बहुत मजबूत है। यहां मादक पदार्थों की तस्करी बहुत बढ़ रही है। सिंथेटिक ड्रग्स रेल मार्ग और कूरियर सेवा से मंगाए जा रहे हैं। प्रति व्यक्ति एनडीपीएस मामलों में यह राज्य देश में सबसे आगे है और ज़ब्त की गई कुल मात्रा कुछ अन्य राज्यों की तुलना में कम है।

केरल पुलिस के अनुसार, अधिकांश एमडीएमए आसपास के क्षेत्रों से तस्करी करके लाया जाता है और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग ऐप्स के माध्यम से बेचा जाता है। युवाओं खासकर कॉलेज के छात्रों में इसका बढ़ता प्रचलन और तस्करी अधिकारियों को बहुत चिंतित कर रही है।

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