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तमिलनाडु सीबी-सीआईडी ने करोड़ों रुपये के इरीडियम कॉपर घोटाले का किया पर्दाफाश, छह गिरफ्तार

तमिलनाडु सीबी-सीआईडी ने करोड़ों रुपये के इरीडियम कॉपर घोटाले का किया पर्दाफाश, छह गिरफ्तार

प्रकाश कुंज ।  चेन्नई,  तमिलनाडु अपराध शाखा की सीआईडी ​​विंग ने एक महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त करते हुए करोड़ों रुपये के इरीडियम कॉपर घोटाले का पर्दाफाश किया है और इस संबंध में छह लोगों को गिरफ्तार किया है, जिन्होंने आरबीआई अधिकारी बनकर अपराध को अंजाम दिया था। सीबी-सीआईडी ​​की मंगलवार को यहां जारी विज्ञप्ति में कहा

प्रकाश कुंज ।  चेन्नई,  तमिलनाडु अपराध शाखा की सीआईडी ​​विंग ने एक महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त करते हुए करोड़ों रुपये के इरीडियम कॉपर घोटाले का पर्दाफाश किया है और इस संबंध में छह लोगों को गिरफ्तार किया है, जिन्होंने आरबीआई अधिकारी बनकर अपराध को अंजाम दिया था।

सीबी-सीआईडी ​​की मंगलवार को यहां जारी विज्ञप्ति में कहा गया कि गिरफ्तार किये गये लोगों में तमिलनाडु के पांच और तेलंगाना का एक व्यक्ति शामिल है तथा उनके पास से कई आपत्तिजनक सामग्रियां बरामद की गयी है।

यह तमिलनाडु और पड़ोसी राज्यों में कुछ समूहों द्वारा अनधिकृत जमाराशि एकत्रित करके जनता को धोखा देने का मामला है, जिसमें दावा किया गया कि इरीडियम तांबे की बिक्री के लिए आरबीआई के माध्यम से केंद्र सरकार से कई हजार करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं।

वे यह कहकर भी ठगी कर रहे थे कि आरबीआई को सेवा शुल्क देना होगा और उक्त राशि जारी करने के लिए आरबीआई के उच्च अधिकारियों को कमीशन देना होगा। ये घोटालेबाज पीड़ितों को विश्वास दिलाने के लिए नकली आरबीआई बॉन्ड दिखाकर करोड़ों रुपये के रिटर्न का आश्वासन दे रहे थे।

यह घोटाला तब सामने आया जब फरवरी 2024 में एक व्यक्ति द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक की “सचेत” वेबसाइट पर असंगठित निकायों द्वारा स्वीकार किए गए अनधिकृत जमा के खिलाफ शिकायत दर्ज की गयी।

इसके बाद, मई 2024 में आरबीआई के सहायक महाप्रबंधक ए.जे. कैनेडी द्वारा चेन्नई पुलिस आयुक्त से शिकायत की गई और इसे सीबी-सीआईडी ​​को भेज दिया गया।

प्रारंभिक जांच करने के बाद, सलेम ओसीयू सीबी-सीआईडी ​​इकाई में धारा 419, 465, 468, 471, 420 आईपीसी और 66डी सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 के साथ पांच प्रतीक और नाम (अनुचित प्रयोग की रोकथाम) अधिनियम, 1950 के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया और मार्च 2025 में जांच के लिए भेजा गया।

जांच के दौरान, तमिलनाडु के तंजावुर जिले के नित्यानंदम और चंद्रा को गिरफ्तार किया गया और 28 मई को रिमांड पर लिया गया।

आगे की जांच में चार और आरोपियों अंबुमणि निवासी धर्मपुरी, मुथुसामी निवासी सलेम, केशवन निवासी सलेम तथा गडी चर्ला किशोर कुमार निवासी तेलंगाना को गिरफ्तार किया गया।

इसके बाद उन्हें हिरासत में भेज दिया गया। विज्ञप्ति में कहा गया कि आरोपियों के पास से सोने के रंग की धातु, कुछ जाली दस्तावेज, मोबाइल फोन और आपत्तिजनक सामग्री जब्त की गई।

पूछताछ से पता चला कि आरोपियों ने तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में कई लोगों को ठगा है। अब तक चेन्नई, तंजावुर, कोयंबटूर, सेलम, नमक्कल और धर्मपुरी के लगभग 20 पीड़ितों की पहचान की गई है और आरोपियों द्वारा सामूहिक रूप से उनसे 4.5 करोड़ रुपये की ठगी की गई है।

घोटालेबाजों ने जमाकर्ताओं के नाम पर आरबीआई के प्रतीक चिन्ह के साथ जाली क्रेडिट प्रमाण पत्र दिखाकर पीड़ितों को कथित रूप से गुप्त रूप से संचालित केंद्र सरकार की इरीडियम व्यापार योजना में पैसा निवेश करने के लिए प्रेरित किया।

इसके बाद जब पीड़ितों ने वादे के मुताबिक रिटर्न के लिए उनसे संपर्क किया तो आरोपी उन्हें टालते रहे। एक समय के बाद उन्होंने कुछ लोगों को काम पर रखा जो आरबीआई के अधिकारी बनकर पीड़ितों से दिल्ली या मुंबई के मशहूर होटलों में मिलते थे और उन्हें रिटर्न का भरोसा दिलाते थे।

इसके बाद, वे बैंक खाता खोलकर पीड़ितों के साथ अपनी पहचान साझा करते थे और आश्वासन देते थे कि इस खाते में पैसे जमा किए जाएंगे। इस रैकेट के बाकी लोगों को गिरफ्तार करने और अन्य पीड़ितों की पहचान करने के लिए जांच चल रही है।

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