– वॉयलिन और कैलाश रंजनी बेला, संतूर सरीखे साजों से निखरी वर्षा ऋतु – वॉयलिन वादक पं. कैलाश चंद्र मोठिया, कैलाश रंजनी बेला वादक योगेश चंद्र मोठिया और संतूर वादक उस्ताद अनवर हुसैन की दिलकश प्रस्तुति प्रकाश कुंज । जयपुर : जवाहर कला केन्द्र की ओर से चल रहे तीन दिवसीय मल्हार महोत्सव के दूसरे
– वॉयलिन और कैलाश रंजनी बेला, संतूर सरीखे साजों से निखरी वर्षा ऋतु
– वॉयलिन वादक पं. कैलाश चंद्र मोठिया, कैलाश रंजनी बेला वादक योगेश चंद्र मोठिया और संतूर वादक उस्ताद अनवर हुसैन की दिलकश प्रस्तुति
प्रकाश कुंज । जयपुर : जवाहर कला केन्द्र की ओर से चल रहे तीन दिवसीय मल्हार महोत्सव के दूसरे दिन गुरुवार को वॉयलिन और संतूर के हुनरमंद फनकारों ने सुरीले सुरों का झरना बहा दिया।
कार्यक्रम में मौजूद दानिशमंद श्रोता भी सुर वर्षा में भीगते रहे। कार्यक्रम में पिता-पुत्र की जोड़ी पं. कैलाश चंद्र मोठिया (पिता) व योगेश चंद्र मोठिया (पुत्र) ने अपने कमाले फन से वॉयलिन वादन और कैलाश रंजनी बेला की कमाल की जुगलबंदी की दिलकश प्रस्तुति के दौरान सुरों के इन्द्रधनुषी रंग बिखेर समूचे जेकेके परिसर को सराबोर कर दिया।
पं. कैलाश चंद्र मोठिया की स्व-रचित रचना में राग मेघ के उमड़ते-घुमड़ते, इठलाते स्वभाव के साथ धरती के आलिंगन करते भावों की महक शिद्दत से महसूस हुई। अनूठे वाद्य कैलाश रंजनी बेला वादक योगेश चंद्र मोठिया ने अपने पिता वायलिन वादक पं. कैलाश चंद्र मोठिया के साथ राग मेघ के सुर साधे। पिता-पुत्र की इस जोड़ी ने वॉयलिन साज पर सुरों की खूबसूरत आईनबंदी कर राग मेघ का शृंगार किया। दोनों फनकारों ने सुरों के खूबसूरत लगाव, ठहराव और लयकारी से श्रोताओं के दिलों को छू लिया। दोनों फनकारों ने तीनों गतों के सुन्दर समावेश समेत तंत्रकारी और गायकी अंग का उम्दा प्रदर्शन कर प्रशंसा बंटोरी। दोनों फनकारों ने राग भैरवी में सुरीली धुन पेशकर अपने वादन को विराम दिया।
कार्यक्रम में उस्ताद अनवर हुसैन ने भी संतूर वादन के दौरान सुरों की मिठास घोली। वही कैलाश चंद्र मोठिया और योगेश चंद्र मोठिया वायलिन वादन और कैलाश रंजनी बेला की जुगलबंदी पेश करेंगे। तबले पर मोहित कत्थक और नगाड़े पर मनीष देवली ने सधी हुई संगत से प्रभावित किया।