728 x 90

ज़ब्त वाहनों पर झाड़ उग जाने से कबाड़खाने में तब्दील थाना परिसर

ज़ब्त वाहनों पर झाड़ उग जाने से कबाड़खाने में तब्दील थाना परिसर

प्रकाश कुंज । अमरोहा,  उत्तर प्रदेश में जटिल कानूनी प्रक्रिया की वजह से वर्षों से ज़ब्त कर रखे गए वाहनों पर झाड़ उग आने से कबाड़खाने में तब्दील हो गए थाना परिसर। पुलिस अधीक्षक अमित कुमार आनंद का कहना है कि न्यायालय से अनुमति लेकर समय-समय पर नीलामी की प्रक्रिया अमल में लाई जाती है।

प्रकाश कुंज । अमरोहा,  उत्तर प्रदेश में जटिल कानूनी प्रक्रिया की वजह से वर्षों से ज़ब्त कर रखे गए वाहनों पर झाड़ उग आने से कबाड़खाने में तब्दील हो गए थाना परिसर।

पुलिस अधीक्षक अमित कुमार आनंद का कहना है कि न्यायालय से अनुमति लेकर समय-समय पर नीलामी की प्रक्रिया अमल में लाई जाती है। लगभग हर थाने सौ दो सौ बाइक, कारें, बसें ट्रक अदालत में चल रहे मामलों में फैसला आने के इंतजार में गल सड़ रहे हैं, गजरौला थाना क्षेत्र में ब्रजघाट से लेकर थाना डिडौली अमरोहा की सीमा में हर रोज़ सड़क दुर्घटना होती रहती है, अमरोहा से नूरपुर बिजनौर मार्ग तथा बदायूं बिल्सी – पानीपत स्टेट हाईवे -51 समेत अन्य संपर्क मार्गो पर आये दिन कोई न कोई सड़क दुर्घटना होती रहती है। जिसमें पब्लिक के आक्रोश से बचने के लिए अधिकांश चालक वाहन छोड़कर भाग जाते हैं, कानूनी लफड़े में पड़ने के बजाय वाहन स्वामी क्लेम तक नहीं करते हैं। जिससे लगातार ऐसे वाहनों की तादाद में हररोज इज़ाफा होता जाता है।

बरसों तक थानों में खड़े खड़े वाहनों पर झाड़ घास जम जाती है। स्टेट हाईवे हो या नेशनल हाईवे सड़क किनारे आड़े तिरछे, दुर्घटनाग्रस्त कबाड़ हो चुके वाहनों का जखीरा इकठ्ठा दिखाई देता है तो यह माना जाता है कि यहां पुलिस थाना जरुर है। अक्सर देखा जा जाता है कि संबंधित थाना प्रभारी ज़ब्त वाहनों की नीलामी की अनुशंसा करने में टालू रवैया अपनाते रहे हैं।

गौरतलब है कि अकेले अमरोहा जिले में अमरोहा कोतवाली में लगभग 600, थाना मंडी धनौरा 500, कोतवाली गजरौला में 437, थाना रजबपुर में 170 , थाना अमरोहा देहात में 109, थाना सैदनगली में 110, थाना रहरा 57, थाना बछरायूं में 87 तथा जनपद के सबसे ज्यादा हालत ख़राब दिल्ली नेशनल हाईवे-09 स्थित कोतवाली डिडौली, तथा बदायूं बिल्सी स्टेट हाईवे -51 स्थित हसनपुर तथा आदमपुर थाना परिसर की कबाड़खाना बनी हुई है, उक्त थाने में वाहनों पर पेड़ घास उग आई है लेकिन संबंधित थाना प्रभारी निरीक्षक को इसकी परवाह नहीं है। जबकि वाहन कबाड़खाने में तब्दील न हो थाना परिसर की साफ-सफाई की जिम्मेदारी संबंधित थाना प्रभारी निरीक्षक की होती है।

आधिकारिक आकंड़ों पर गौर करें तो प्रदेश के पुलिस थानों में ज़ब्त वाहनों की संख्या क़रीब 72 हज़ार 776 , आबकारी विभाग द्वारा ज़ब्त वाहनों की संख्या 923 है, परिवहन विभाग द्वारा ज़ब्त किए गए वाहनों की संख्या 39 हज़ार 819 है। उत्तर प्रदेश मोटर कराधान नियम, 1998 के नियम 19 – ए के अनुसार सुपुर्दगी के 45 दिनों के बाद वाहनों की नीलामी प्रक्रिया ज़रुरी है अन्यथा अधिक समय तक वाहनों को रखना नियम विरुद्ध माना जाएगा। इस बाबत इलाहाबाद उच्च न्यायालय का स्पष्ट आदेश है कि प्रत्येक वाहन सिर्फ़ ज़ब्त ज़ब्त की गई वस्तु नहीं है,यह एक राष्ट्रीय संपत्ति है। माननीय उच्च न्यायालय का स्पष्ट मत है कि ज़ब्त वाहनों को पुलिस थानों, आबकारी गोदामों या परिवहन यार्डों में सड़ने गलने देना राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के लिए हानिप्रद है। केवल ज़रुरी साक्ष्य नहीं होने तथा मुकदमा लंबित होने के आधार पर वाहन को रोके रखना वज़ह नहीं हो सकता। वाहन अपराध नहीं करता, बल्कि व्यक्ति द्वारा दुरुपयोग किया जाता है। माननीय उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए आदेशानुसार थाना परिसर को साफ-सुथरा रखने, तथा साफ-सफाई के साथ ही कबाड़ में तब्दील ऐसे वाहनों की नीलामी की अनुशंसा समय रहते प्रभारी निरीक्षक को करने में कोताही नहीं बरतनी चाहिए।

Posts Carousel

Latest Posts

Top Authors

Most Commented

Featured Videos

Categories