प्रकाश कुंज । सवाई माधोपुर रणथम्भौर किले की परिधि के आस पास बाघों के हमले लगातार बढ़ते जा रहे है। वन विभाग और प्रशासन द्वारा की गई समस्त तैयारियां खोखली साबित हो रही हैं। बीते 3 माह में बाघों द्वारा हमले से एक के मासूम साथ दो लोगो को अपनी जान गंवानी पड़ी है। वन विभाग
प्रकाश कुंज । सवाई माधोपुर रणथम्भौर किले की परिधि के आस पास बाघों के हमले लगातार बढ़ते जा रहे है। वन विभाग और प्रशासन द्वारा की गई समस्त तैयारियां खोखली साबित हो रही हैं। बीते 3 माह में बाघों द्वारा हमले से एक के मासूम साथ दो लोगो को अपनी जान गंवानी पड़ी है। वन विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार इसी महीने में बाघ ने कुल 3 लोगों को अपना निशाना बनाया है। रणथम्भौर फोर्ट में सोमवार सुबह बाघ ने जैन मंदिर चौकीदार को मार डाला। उनकी पहचान शेरपुर निवासी राधेश्याम सैनी (60) के रूप में हुई है। राधेश्याम पिछले 20 साल से रणथम्भौर फोर्ट स्थित जैन मंदिर में चौकीदार के रूप में सेवाएं दे रहे थे। सुबह करीब साढ़े चार बजे वह शौच के लिए गए थे, तभी बाघ ने उन पर हमला कर दिया।
राधेश्याम की गर्दन पर टाइगर के दांतों के निशान मिले हैं। कमर के नीचे जांघ का हिस्सा टाइगर खा गया था।दो महीने में बाघ के हमले की यह तीसरी घटना है।
घटना के बाद ग्रामीणों में रोस व्याप्त हो गया और सवाई माधोपुर-कुंडेरा मार्ग को जाम कर दिया था।
स्थानीय लोगों का कहना है कि वन विभाग की लापरवाही के कारण यह तीसरी मौत है। उधर, गणेश धाम तिराहे पर टेंट लगाकर ग्रामीण धरने पर बैठ गए हैं। इस दौरान पुलिस से ग्रामीणों की झड़प भी हुई। मंदिर में रुके हुए थे 3 चौकीदार रणथम्भौर टाइगर रिजर्व के सीसीएफ अनूप के आर ने बताया- बीते दिन रणथम्भौर दुर्ग में टाइगर का मूवमेंट था। इसके चलते त्रिनेत्र गणेश मंदिर में श्रद्धालुओं का प्रवेश रोका गया था। मंदिरों के कुछ चौकीदार फोर्ट में ही रुके हुए थे। इनमें 3 चौकीदार रणथम्भौर दुर्ग स्थित जैन मंदिर में रुके थे। सोमवार सुबह करीब 4.30 बजे मंदिर से 30-40 मीटर दूरी पर चौकीदार राधेश्याम सैनी शौच करने गए थे।
इतने में अन्य 2 चौकीदारों ने राधेश्याम के चिल्लाने की आवाज सुनी। वह मंदिर के बाहर पहुंचे तो खून के निशान दिखे। घना जंगल की वजह से शव दिखा ही नहीं। फौरन इसकी सूचना वन ? विभाग को दी। वन विभाग की टीम ने चौकीदार को खोजने का प्रयास किया। तीन से चार घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद राधेश्याम के शव को रिकवर किया गया। धरने पर बैठे गांव वाले घटना के विरोध में गणेश धाम तिराहे पर ग्रामीणों ने टेंट लगाकर धरना शुरू कर दिया है। एहतियात के तौर पर बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है।
दुर्ग क्षेत्र आखिर क्यों बन रहा डेथ जोन ?
पिछले 2 महीने में टाइगर के जो 3 हमले हुए हैं, वह जगह आसपास ही हैं। 21 अप्रैल को बाघिन कनकटी ने बच्चे पर जिस जगह पर हमला किया था, वह रणथंभौर किले के पास ही है।
इसके बाद 12 मई को जोगी महल के पास रेंजर पर जो हमला हुआ, वह जगह भी रणथंभौर किले के बिल्कुल नीचे की तरफ है।
9 जून को मंदिर के चौकीदार पर रणथंभौर किले के अंदर ही हमला हुआ। ये तीनों हमले 2 किलोमीटर की परिधि में ही हुए हैं।
सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं दुर्ग परिधि बन रही डेथ जोन स्थानीय लोगों का कहना है कि वन विभाग को पहले से खतरे की आशंका थी, लेकिन उन्होंने सिर्फ चेतावनी नोटिस लगाकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया। पुजारी और रेंजर जैसे नियमित कर्मचारियों की सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं किए गए। इन घटनाओं के बाद अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या रणथंभौर का दुर्ग क्षेत्र आखिर क्यों बन रहा डेथ जोन ? क्या इन बाघों का व्यवहार सामान्य है या वे इंसानों के लिए गंभीर खतरा बन चुके हैं ? वन विभाग की ओर से इस मामले में अब तक कोई ठोस बयान नहीं आया है, जिससे लोगों की नाराजगी और बढ़ गई है।