प्रकाश कुंज । जैसलमेर राजस्थान में सीमावर्ती जिलों में युद्धाभ्यास के कारण एक बार फिर आसमान भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों की आवाज़ों से गुंजायमान हो रहा है । सैन्य सूत्रों के अनुसार जैसलमेर, बाड़मेर और जोधपुर जिलों में भारतीय वायुसेना ने बुधवार से युद्धाभ्यास शुरू किया है। तीन दिनों के युद्धाभ्यास का आज आखिरी
प्रकाश कुंज । जैसलमेर राजस्थान में सीमावर्ती जिलों में युद्धाभ्यास के कारण एक बार फिर आसमान भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों की आवाज़ों से गुंजायमान हो रहा है ।
सैन्य सूत्रों के अनुसार जैसलमेर, बाड़मेर और जोधपुर जिलों में भारतीय वायुसेना ने बुधवार से युद्धाभ्यास शुरू किया है। तीन दिनों के युद्धाभ्यास का आज आखिरी दिन है। इस युद्धाभ्यास में भारतीय वायुसेना के विभिन्न लड़ाकू विमान जोधपुर एवं बाड़मेर के उत्तरलाई वायुसैनिक हवाई अड्डों से उड़ान भरकर जैसलमेर की पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज क्षेत्र में युद्धाभ्यास कर रहे हैं ।
भारतीय वायुसेना ने इस अभ्यास के लिए नोटम यानी नोटिस टू एयरमेन जारी कर दिया है, जिसके कारण जैसलमेर से जोधपुर के बीच के हवाई क्षेत्र में किसी भी यात्री या निजी विमान को उड़ान भरने की अनुमति नहीं है। यह हालांकि अभ्यास पूरी तरह पूर्व निर्धारित और नियमित प्रक्रिया का हिस्सा है, लेकिन इसके समय और स्थान के कारण इसका अत्यधिक सामरिक महत्व हैं ।
जानकारों के अनुसार यह अभ्यास न केवल भारत की तैयारी का प्रदर्शन है, बल्कि पाकिस्तान को दिया गया एक सधा हुआ संदेश भी है। हाल के महीनों में पाकिस्तान की ओर से सीमा पर ड्रोन भेजने, जासूसी नेटवर्क सक्रिय करने और घुसपैठ की कोशिशों को देखते हुए यह अभ्यास बेहद सटीक समय पर किया जा रहा है। भारतीय वायुसेना ने एक बार फिर दिखा दिया है कि सीमा पर अगर कोई हलचल होती है, तो जवाब देने में देरी नहीं होगी ।
साथ ही यह अभ्यास भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में भी एक मजबूत संकेत देता है। तेजस जैसे स्वदेशी लड़ाकू विमानों, स्वदेशी रडार सिस्टम और मिसाइल तकनीक के इस्तेमाल ने दिखा दिया है कि भारत अब केवल विदेशी उपकरणों पर निर्भर नहीं है। अब हमारे पास अपनी तकनीक है, अपनी ताकत है और अपना आत्मविश्वास है ।
गौरतलब है कि हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान में आतंकवादियों ठिकानों पर भारत की ओर से किये गये हमले के और उसके बाद सैन्य कार्रवाई के दौरान भारतीय वायुसेना के विमानों की गड़गड़ाहट यहां सुनायी दी थी ।